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भारत में सेमीकंडक्टर क्रांति: 2025 में चिप निर्माण और आत्मनिर्भरता की दिशा

 

भारत में सेमीकंडक्टर फैक्ट्री, माइक्रोचिप और इंजीनियर – आत्मनिर्भरता की प्रतीक तस्वीर2025 में भारत की सेमीकंडक्टर क्रांति – आत्मनिर्भर भारत की ओर एक मजबूत कदम

भारत में सेमीकंडक्टर क्रांति: 2025 में चिप निर्माण का भविष्य और आत्मनिर्भरता की दिशा

क्या भारत अब चिप निर्माण में भी आत्मनिर्भर बनने जा रहा है? जी हां, 2025 में भारत की सेमीकंडक्टर नीति और निवेश ने टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक नई क्रांति की शुरुआत की है। यह न केवल भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना रहा है, बल्कि लाखों युवाओं के लिए रोजगार और देश के लिए तकनीकी संप्रभुता की दिशा भी तय कर रहा है।

सेमीकंडक्टर क्या है और क्यों जरूरी है?

सेमीकंडक्टर वे सूक्ष्म चिप्स होते हैं जो लगभग हर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे मोबाइल, लैपटॉप, टीवी, कार, हेल्थ डिवाइस, रक्षा उपकरणों आदि में लगाए जाते हैं।

  • 5G मोबाइल से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक – सब सेमीकंडक्टर पर निर्भर हैं।
  • यह किसी भी देश की टेक्नोलॉजिकल आत्मनिर्भरता की रीढ़ है।

भारत और सेमीकंडक्टर: अब तक की स्थिति

अब तक भारत पूरी तरह से सेमीकंडक्टर चिप्स के लिए अमेरिका, ताइवान, कोरिया और चीन पर निर्भर था। COVID-19 के दौरान ग्लोबल सप्लाई चेन बाधित हुई और भारत में इलेक्ट्रॉनिक सामानों की भारी किल्लत हो गई। तभी सरकार ने यह महसूस किया कि चिप्स की स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग शुरू करनी होगी।

Semicon India Program क्या है?

भारत सरकार ने 2021 में Semicon India Program की शुरुआत की, जिसमें ₹76,000 करोड़ का निवेश पैकेज घोषित किया गया।

इसका लक्ष्य है:

  • भारत को ग्लोबल सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना
  • डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देना
  • विनिर्माण, डिजाइन और रिसर्च-डेवलपमेंट को बढ़ावा देना

2025 तक की बड़ी उपलब्धियाँ

  • Vedanta-Foxconn की गुजरात में सेमीकंडक्टर फैक्ट्री पर कार्य शुरू
  • Micron ने सानंद (गुजरात) में ₹22,500 करोड़ की चिप यूनिट स्थापित की
  • ISMC और Tata Group ने भी निवेश की घोषणा की
  • Design Linked Incentives (DLI) से भारतीय स्टार्टअप को सपोर्ट

सेमीकंडक्टर निर्माण की प्रक्रिया

चिप निर्माण एक अत्यंत जटिल और उच्च तकनीक वाला कार्य है जिसमें:

  1. सिलिकॉन वेफर बनाना
  2. माइक्रो ट्रांजिस्टर और सर्किट जोड़ना
  3. क्लीन रूम में पैकेजिंग और टेस्टिंग

इस प्रक्रिया के लिए करोड़ों डॉलर की मशीनें, विशेषज्ञता और शुद्ध वातावरण चाहिए।

भारत में निवेश क्यों बढ़ रहा है?

  • सरकार द्वारा सब्सिडी और टैक्स छूट
  • बड़ी आबादी और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की भारी मांग
  • Global companies को China+1 strategy के तहत विकल्प की तलाश
  • Skilled Engineers की बड़ी workforce

फायदे जो भारत को मिलेंगे

  1. आत्मनिर्भरता: चिप्स के लिए आयात पर निर्भरता घटेगी
  2. रोजगार: 1 लाख से ज्यादा skilled jobs का निर्माण
  3. निर्यात: भारत एक वैश्विक चिप सप्लायर बन सकता है
  4. डिजिटल इंडिया को बूस्ट: 5G, EVs, Defence, AI सभी को ताकत मिलेगी

चुनौतियाँ क्या हैं?

  • उच्च प्रारंभिक लागत – एक फैक्ट्री बनाने में $10 बिलियन तक लगते हैं
  • कुशल इंजीनियरों और तकनीशियनों की कमी
  • उपयुक्त सप्लाई चेन और लॉजिस्टिक्स की कमी
  • Global competition – ताइवान, चीन, कोरिया बहुत आगे हैं

भारत की रणनीति क्या है?

  1. Collaborations: अमेरिका, जापान, EU से तकनीकी सहयोग
  2. Design & Innovation: भारत स्टार्टअप्स को design पर फोकस करवा रहा है
  3. Education: IITs और अन्य संस्थानों में चिप डिज़ाइन कोर्स शुरू

क्या भारत सफल हो पाएगा?

2025 तक के संकेत दिखाते हैं कि भारत design + assembly + testing क्षेत्रों में सफलता पा चुका है। Manufacturing भी धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही है।

हालांकि हमें Taiwan, China जैसे देशों तक पहुंचने में कुछ वर्ष लगेंगे, लेकिन भारत का नींव मजबूत हो चुकी है

निष्कर्ष

भारत की सेमीकंडक्टर क्रांति एक लंबी दौड़ है, लेकिन इसकी शुरुआत हो चुकी है। 2025 में जो बीज बोए जा रहे हैं, वे भविष्य में भारत को तकनीकी महाशक्ति बना सकते हैं।

अब समय है कि हम इस बदलाव को समझें, उसका हिस्सा बनें और डिजिटल आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान दें।

ऐसी और महत्वपूर्ण खबरें पढ़ते रहिए janvaani.in पर।

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