
भारत में Green Hydrogen Mission क्या है? 2025 में इसका भविष्य, फायदे और चुनौतियाँ
क्या भारत ऊर्जा क्रांति की ओर बढ़ रहा है? जी हाँ! 2025 में भारत का Green Hydrogen Mission एक ऐसा कदम है जो देश को ऊर्जा आत्मनिर्भरता, पर्यावरण सुरक्षा और आर्थिक विकास की नई दिशा में ले जा रहा है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि ग्रीन हाइड्रोजन क्या है, इसका मिशन क्या है, इसके फायदे, चुनौतियाँ और भविष्य में इसका क्या असर होगा।
ग्रीन हाइड्रोजन क्या है?
ग्रीन हाइड्रोजन एक प्रकार की स्वच्छ हाइड्रोजन गैस है जिसे पानी (H₂O) से इलेक्ट्रोलिसिस तकनीक द्वारा प्राप्त किया जाता है। खास बात यह है कि इसमें उपयोग की जाने वाली ऊर्जा सौर या पवन जैसे नवीकरणीय स्रोतों से आती है, जिससे यह पूरी तरह कार्बन मुक्त होता है।
ग्रीन हाइड्रोजन बनता कैसे है?
- पानी को इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया से विभाजित किया जाता है।
- इसमें बिजली का प्रयोग होता है, जो सौर या पवन ऊर्जा से ली जाती है।
- H₂ (Hydrogen) और O₂ (Oxygen) अलग-अलग किए जाते हैं।
भारत सरकार का Green Hydrogen Mission (2023-2030)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2021 को National Hydrogen Mission की घोषणा की थी। इसके तहत 2023 में National Green Hydrogen Mission की शुरुआत हुई। इसका लक्ष्य है:
- 2030 तक 5 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन।
- Renewable energy का इस्तेमाल बढ़ाना।
- Import पर निर्भरता कम करना।
- ₹8 लाख करोड़ का निवेश आकर्षित करना।
Green Hydrogen के मुख्य फायदे
- पर्यावरण संरक्षण: यह कार्बन मुक्त है, जिससे वायु प्रदूषण और ग्लोबल वॉर्मिंग में भारी कमी आएगी।
- ऊर्जा आत्मनिर्भरता: भारत जैसे देश को विदेशी तेल और गैस से छुटकारा मिलेगा।
- रोज़गार के नए अवसर: ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट्स, स्टोरेज, ट्रांसपोर्टेशन आदि में लाखों नौकरियाँ उत्पन्न होंगी।
- निर्यात का मौका: भारत भविष्य में ग्रीन हाइड्रोजन एक्सपोर्ट कर सकता है।
किन क्षेत्रों में उपयोग होगा?
- उद्योग: इस्पात, सीमेंट, खाद्य उद्योगों में हाइड्रोजन की जरूरत को पूरा करेगा।
- ट्रांसपोर्ट: ई-वाहनों और हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलने वाले ट्रकों और बसों में।
- ऊर्जा स्टोरेज: बड़ी मात्रा में बिजली को संग्रह करने के लिए।
2025 में ग्रीन हाइड्रोजन की स्थिति
2025 तक भारत ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं:
- राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु में ग्रीन हाइड्रोजन हब बन चुके हैं।
- IOC, NTPC, Reliance जैसी कंपनियाँ बड़ी परियोजनाएँ चला रही हैं।
- सरकार ने उत्पादन पर सब्सिडी और PLI स्कीमें शुरू की हैं।
मुख्य चुनौतियाँ क्या हैं?
- उच्च लागत: उत्पादन तकनीक अभी महंगी है।
- बड़े स्तर पर स्टोरेज और ट्रांसपोर्ट की कमी।
- Skilled manpower की जरूरत।
- इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण में समय और पैसा।
भारत की वैश्विक स्थिति
भारत अब ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में वैश्विक लीडर बनने की ओर बढ़ रहा है। अमेरिका, जापान, जर्मनी जैसे देशों के साथ साझेदारी हो रही है। 2025 में भारत ने International Green Hydrogen Alliance का हिस्सा बनकर अपनी भूमिका मजबूत की है।
क्या ग्रीन हाइड्रोजन हमारे जीवन को बदलेगा?
हां! आने वाले वर्षों में जब गाड़ियों में पेट्रोल की जगह हाइड्रोजन फ्यूल का इस्तेमाल होगा, जब घरों में खाना हाइड्रोजन से बने गैस से पकेगा, और जब उद्योग कार्बन मुक्त होंगे — तो समझ लीजिए कि ग्रीन हाइड्रोजन ने हमारी ज़िंदगी को पूरी तरह बदल दिया है।
सरकार की योजनाएँ और फंडिंग
- ₹19,744 करोड़ के बजट के साथ ग्रीन हाइड्रोजन मिशन चल रहा है।
- Hydrogen Energy Development Cell की स्थापना की गई है।
- Private sector को 50% से अधिक निवेश करने का लक्ष्य।
निष्कर्ष
ग्रीन हाइड्रोजन सिर्फ एक तकनीक नहीं, बल्कि एक क्रांति है। भारत इस मिशन के ज़रिए न केवल ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने जा रहा है, बल्कि विश्व को एक स्वच्छ भविष्य की राह दिखा रहा है। 2025 में यह बदलाव की शुरुआत है, जिसका असर आने वाले दशकों तक दिखेगा।
इस विषय से जुड़ी अपडेट पाने के लिए janvaani.in से जुड़े रहें और शेयर करना न भूलें।
0 टिप्पणियाँ